गद्दारों का राज
संतों की धरती पर, राक्षसों का डेरा है,
गद्दारों के घरों पर,
देशभक्तों का पहरा है,
हर तरफ कलयुग की घटा छा रही है,
ये देख सतयुग की
छाती फटी जा रही है,
झूठे और बेईमानो का
हर ओर बोल बाला है,
सच्चे और ईमानदार को,
घर से झूठा कह निकला है,
नेताओं की नगरी है,
कहाँ वो किसी से डरता है,
देश सेवा के नाम पर
अपना घर भरता है,
इमानदारों की गैरत
कोडियों के भाव बिकती है,
बेईमानों की बेईमानी भी
इमानदारी सी दिखती है,
नजरिया बदल गया है
हर एक इंसान का,
चोरों का रास्ता भी,
अब तो लगता है ईमान का,
खुनी और गद्दारों की जेलों में
सेवा होती है,
देशभक्त शहीदों की माँ
पेंशन के लिए रोती है,
कल जिनको हमने अपना समझ
अपने घर में शरण दी,
उन्होंने ही आज हमारे
विश्वास और बच्चों की गर्दन कलम की,
देश में झूठे और मक्कारों के हाथ सत्ता,
और गद्दारों की भरमार है,
मेरे देश का हर एक
सच्चा देशप्रेमी,
बेबस और लाचार है,
अब अन्ना भी लायें है
सुधार के लिए लोकपाल की तलवार,
अब धीरे धीरे हो गए है
उनके साथ भी गद्दार,
अब देखते है तलवार क्या रंग दिखाती है,
या गद्दारों की टोली,
तलवार को ही खा जाती है,
***********राघव पंडित***
संतों की धरती पर, राक्षसों का डेरा है,
गद्दारों के घरों पर,
देशभक्तों का पहरा है,
हर तरफ कलयुग की घटा छा रही है,
ये देख सतयुग की
छाती फटी जा रही है,
झूठे और बेईमानो का
हर ओर बोल बाला है,
सच्चे और ईमानदार को,
घर से झूठा कह निकला है,
नेताओं की नगरी है,
कहाँ वो किसी से डरता है,
देश सेवा के नाम पर
अपना घर भरता है,
इमानदारों की गैरत
कोडियों के भाव बिकती है,
बेईमानों की बेईमानी भी
इमानदारी सी दिखती है,
नजरिया बदल गया है
हर एक इंसान का,
चोरों का रास्ता भी,
अब तो लगता है ईमान का,
खुनी और गद्दारों की जेलों में
सेवा होती है,
देशभक्त शहीदों की माँ
पेंशन के लिए रोती है,
कल जिनको हमने अपना समझ
अपने घर में शरण दी,
उन्होंने ही आज हमारे
विश्वास और बच्चों की गर्दन कलम की,
देश में झूठे और मक्कारों के हाथ सत्ता,
और गद्दारों की भरमार है,
मेरे देश का हर एक
सच्चा देशप्रेमी,
बेबस और लाचार है,
अब अन्ना भी लायें है
सुधार के लिए लोकपाल की तलवार,
अब धीरे धीरे हो गए है
उनके साथ भी गद्दार,
अब देखते है तलवार क्या रंग दिखाती है,
या गद्दारों की टोली,
तलवार को ही खा जाती है,
***********राघव पंडित***
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