नाकाम मुहब्बत की भी क्या तकदीर होती है,
एक तन्हाई में रोता है, एक घुट घुट की जीती है,
रुखसत भी घर से दोनों होते है,
एक घर से जाता है, (कब्रिस्तान)
एक घर को जाती है, (सुसराल)
जनाजा दोनों का उठता है,
एक दुनिया रोते हुए उठाती है,
एक दुनिया ख़ुशी से उठाती है,
दोनों ही दुनिया के दस्तूर निभाने चले है,
एक घर उजाड़ चला है,
एक घर बसाने चली है,
शिकस्ता दिलों की भी क्या तकदीर होती है,
एक दफ़न के बाद याद करके रोता है,
एक सुहाग की सेज पे याद करके रोती है.
मुहब्बत करने वालों को जुदा करना गुनाह है,
ऐसे गुनाहगारों के लिए,
खुदा के घर में भी न जगह है,
********राघव पंडित
एक तन्हाई में रोता है, एक घुट घुट की जीती है,
रुखसत भी घर से दोनों होते है,
एक घर से जाता है, (कब्रिस्तान)
एक घर को जाती है, (सुसराल)
जनाजा दोनों का उठता है,
एक दुनिया रोते हुए उठाती है,
एक दुनिया ख़ुशी से उठाती है,
दोनों ही दुनिया के दस्तूर निभाने चले है,
एक घर उजाड़ चला है,
एक घर बसाने चली है,
शिकस्ता दिलों की भी क्या तकदीर होती है,
एक दफ़न के बाद याद करके रोता है,
एक सुहाग की सेज पे याद करके रोती है.
मुहब्बत करने वालों को जुदा करना गुनाह है,
ऐसे गुनाहगारों के लिए,
खुदा के घर में भी न जगह है,
********राघव पंडित
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