हम तेरी बेरुखी को भी
प्यार की एक शक्ल कहते है,
क्योकि हम
तेरी नाराजगी को भी प्यार कहते है,
तेरी निगाहों में
हमें वफ़ा की तस्वीर दिखती है,
जाने क्यों
फिर भी तू हमसे खफा खफा सी दिखती है,
तेरी निगाहों में भी
अजब जादू है ओ यारा,
नाराज नज़रों में लगे है
तू और भी प्यारा,
तेरे होठों में
गजब कशिश है ओ यारा,
तुझे जो देख ले
वो भूल जाये ये जहाँ सारा,
गजब खुशबु है
तेरे जिस्म की जो मेरी सांसों में लिपटी है,
तू है न जाने क्यों,
मेरे वजूद से छिपती है,
तुझे देखकर न जाने
क्यों सुलग उठती है मेरी साँसे,
तेरे ख्वाब भी जला जाते है,
मेरा दिल मेरी रातें,
*******राघव पंडित**
प्यार की एक शक्ल कहते है,
क्योकि हम
तेरी नाराजगी को भी प्यार कहते है,
तेरी निगाहों में
हमें वफ़ा की तस्वीर दिखती है,
जाने क्यों
फिर भी तू हमसे खफा खफा सी दिखती है,
तेरी निगाहों में भी
अजब जादू है ओ यारा,
नाराज नज़रों में लगे है
तू और भी प्यारा,
तेरे होठों में
गजब कशिश है ओ यारा,
तुझे जो देख ले
वो भूल जाये ये जहाँ सारा,
गजब खुशबु है
तेरे जिस्म की जो मेरी सांसों में लिपटी है,
तू है न जाने क्यों,
मेरे वजूद से छिपती है,
तुझे देखकर न जाने
क्यों सुलग उठती है मेरी साँसे,
तेरे ख्वाब भी जला जाते है,
मेरा दिल मेरी रातें,
*******राघव पंडित**
No comments:
Post a Comment