बहुत पीड़ा हो रही है
माँ भारती मेरी रो रही है ,
मेरे लालों ने मेरा क्या हाल कर दिया
जिन लोंगों पर मेरे बच्चों को रहम आया,
उन्होंने ही मेरे बच्चों का क़त्ल कर दिया,
मेरे बच्चों ने मुझे लूटनेवालों को
पहले रहने के लिए मेरा एक भू भाग दिया
जो लुटेरे मेरे घर में बचे रह गए
उन्हें यहाँ रहने का हक़ दिया
फिर सत्ता में भागीदारी दी,
इतना सब कुछ करने के बाद भी,
मेरे बच्चों को क्या मिला
खून खराबा
दहशत
गद्दारी
बम से चीथड़े चीथड़े हुई
अपने मासूम बच्चों की लाशें,
इतना सब सहने के बाद भी
मेरी भारत माँ के लाल कितने मजबूर है,
चाहे अपने बच्चों को रोटी न मिले,
लेकिन कसाब,गिलानी और सलेम
जैसे खुनी और लुटेरों को,
मटर पनीर और मांस खिलते जरूर है,
मेरी भारत माँ
कब तक यूही रोती रहेगी,
उसकी संतान
कब तक सेकड़ों मजबूरियों का नाम लेकर
इन कातिलों को ढोती रहेगी,
नेता कब तक वोटो के लालच मे
इन्हें बाप बनायेंगे
कब तक अपने भाइयों की लाशों के
बदले में सत्ता पाएंगे,
ये अशोका द ग्रेट नहीं है
जो लाशों का ढेर देख बदल जायेंगे
ये सेकड़ों को मारेंगे और
हजारों को मारने की कसम खायेंगे,
माँ भारती की अपने बच्चों से
अब एक ही गुहार है
मिटा दो हर उस कातिल को
मेरे दामन से,
जो गुनाहगार है,
*********राघव पंडित***
माँ भारती मेरी रो रही है ,
मेरे लालों ने मेरा क्या हाल कर दिया
जिन लोंगों पर मेरे बच्चों को रहम आया,
उन्होंने ही मेरे बच्चों का क़त्ल कर दिया,
मेरे बच्चों ने मुझे लूटनेवालों को
पहले रहने के लिए मेरा एक भू भाग दिया
जो लुटेरे मेरे घर में बचे रह गए
उन्हें यहाँ रहने का हक़ दिया
फिर सत्ता में भागीदारी दी,
इतना सब कुछ करने के बाद भी,
मेरे बच्चों को क्या मिला
खून खराबा
दहशत
गद्दारी
बम से चीथड़े चीथड़े हुई
अपने मासूम बच्चों की लाशें,
इतना सब सहने के बाद भी
मेरी भारत माँ के लाल कितने मजबूर है,
चाहे अपने बच्चों को रोटी न मिले,
लेकिन कसाब,गिलानी और सलेम
जैसे खुनी और लुटेरों को,
मटर पनीर और मांस खिलते जरूर है,
मेरी भारत माँ
कब तक यूही रोती रहेगी,
उसकी संतान
कब तक सेकड़ों मजबूरियों का नाम लेकर
इन कातिलों को ढोती रहेगी,
नेता कब तक वोटो के लालच मे
इन्हें बाप बनायेंगे
कब तक अपने भाइयों की लाशों के
बदले में सत्ता पाएंगे,
ये अशोका द ग्रेट नहीं है
जो लाशों का ढेर देख बदल जायेंगे
ये सेकड़ों को मारेंगे और
हजारों को मारने की कसम खायेंगे,
माँ भारती की अपने बच्चों से
अब एक ही गुहार है
मिटा दो हर उस कातिल को
मेरे दामन से,
जो गुनाहगार है,
*********राघव पंडित***
No comments:
Post a Comment