तुम्हारी जुल्फें
जैसे सेकड़ों घटाओं का समुंदर,
तुम्हारा मासूम सा चेहरा
जैसे सेकड़ों घटाओं से घिरा चाँद,
तुम्हारी आँखें
सेकड़ों अनकहे सवालों का दरिया,
तुम्हारे होठ
गुलाब की पंखुड़ियों से नाजुक
गजब की लगती हो, ये दीवाने कहते है
तेरे आगोश में चाँद सितारे रहते है,
राघव विवेक पंडित
जैसे सेकड़ों घटाओं का समुंदर,
तुम्हारा मासूम सा चेहरा
जैसे सेकड़ों घटाओं से घिरा चाँद,
तुम्हारी आँखें
सेकड़ों अनकहे सवालों का दरिया,
तुम्हारे होठ
गुलाब की पंखुड़ियों से नाजुक
गजब की लगती हो, ये दीवाने कहते है
तेरे आगोश में चाँद सितारे रहते है,
राघव विवेक पंडित
बहुत खूब सर!
ReplyDeleteप्रेम दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर