आओ थोडा
हँसे और हंसायें,
जीवन की इस भाग दौड़ से
कुछ पल
ख़ुशी के चुराएं,
गुमराह करें
कुछ गम को,
कुछ खुद गुमराह हो जाएँ ,
रूठ गया था जो कल हमसे
चलो फिर आज मनाएं,
दूर करें
सब गिले शिकवे
खुशियों के फूल खिलाएं,
राहें गम में
बिछड़ गया जो
उसे साथ ले आयें,
जीवन है एक
सुख दुःख की धारा,
हंसी ख़ुशी पार कर जाएँ,
उम्मीदों का बाँध न टूटे
हिम्मत कभी न हारें,
हंसी ख़ुशी
सब कट जायेंगे,
गम जीवन के सारे,
आंसू पोंछे हम सबके
करें दूर अँधेरा,
जीवन एक सुख दुःख का घेरा
होता सदा सवेरा,
मंजिल उसे सदा मिली
जिसने धेर्य न खोया,
सबने वही पाया है
जिसने जो है बोया,
पाप पुण्य सब सीख गए
दे कर दर्द
पाप पुण्य सब सीख गए
हम न सीखे व्यवहार,
प्रेम की भाषा
जानवर भी जाने,
तो हम क्यों है
अज्ञान
दे कर दर्द
नहीं मिला किसी को
सुखसागर संसार,
जीवन है एक अमृत धारा
करो सभी को पार,
******* राघव विवेक पंडित
******* राघव विवेक पंडित
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