जंगल में जन्नत सजाने चला है,
जानवर को आदमी बनाने चला है,
हौसले पहाड़ से बुलंद है उसके
खुद को खुदगर्जों पे मिटाने चला है,
जो न हुए कभी अपनों के अपने,
उनको ये अपना समझने लगा है,
जो है सदियों से जिन्दा लाशें,
उनमे ये जीवन जगाने चला है,
जिन्हें रक्त पिशाचों (नेताओं ) की पूजा की आदत,
उन्हें ये राम रहीम की महिमा समझाने चला है,
कुछ तो कर गुजरेगा यारों ये काम,
सबको बड़ी उम्मीदे है उससे अन्ना है नाम
*********राघव पंडित
जानवर को आदमी बनाने चला है,
हौसले पहाड़ से बुलंद है उसके
खुद को खुदगर्जों पे मिटाने चला है,
जो न हुए कभी अपनों के अपने,
उनको ये अपना समझने लगा है,
जो है सदियों से जिन्दा लाशें,
उनमे ये जीवन जगाने चला है,
जिन्हें रक्त पिशाचों (नेताओं ) की पूजा की आदत,
उन्हें ये राम रहीम की महिमा समझाने चला है,
कुछ तो कर गुजरेगा यारों ये काम,
सबको बड़ी उम्मीदे है उससे अन्ना है नाम
*********राघव पंडित
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