तु मेरे आंगन का वो गुलाब है.
जिसके आगे फीकाहर एक शबाब है,
तुम रात की रानी का वो पेड़ हो,
जो महकने के लिए रात का इंतज़ार नहीं करता,
जो सदा महकता रहता है,
जब में हारा थका शाम को घर आता हु,
और तुम मुझे दहलीज़ परपलकें बिछाएं इंतज़ार करते मिलती हो,
और मुश्कुराते हुए कहती हो आ गए,
तुम्हारी मुश्कान और मीठे मीठे शब्दों से मुझे तुम्हारे अथाह स्नेह की अनुभूति होती है,
तुम समंदर की गोद से मिलने वाला,
वो मोती हो जो एक सीपी से सिर्फ एक ही निकलता है
लेकिन उसको पाने की ख्वाइश सेकड़ो रखते है,
तुम अंजुली भर वो अमृत हो
जो मेरे घर और मन दोनों को पवित्र रखता है,
मेरी सखा, प्रेयसी और संगिनी सब तुम ही हो,
तुम मेरे जीवन रूपी समंदर में
उस पतवार की तरह हो जो धुप, छाव, वर्षा और तूफ़ान में
सदेव मेरा साथ देती है,
तुम मुझ में इस तरह शमाई हो,
अगर तुम मुझ से अलग हुई तो
शायद मेरा वजूद ही ख़त्म हो जायेगा,
***********राघव पंडित*
जिसके आगे फीकाहर एक शबाब है,
तुम रात की रानी का वो पेड़ हो,
जो महकने के लिए रात का इंतज़ार नहीं करता,
जो सदा महकता रहता है,
जब में हारा थका शाम को घर आता हु,
और तुम मुझे दहलीज़ परपलकें बिछाएं इंतज़ार करते मिलती हो,
और मुश्कुराते हुए कहती हो आ गए,
तुम्हारी मुश्कान और मीठे मीठे शब्दों से मुझे तुम्हारे अथाह स्नेह की अनुभूति होती है,
तुम समंदर की गोद से मिलने वाला,
वो मोती हो जो एक सीपी से सिर्फ एक ही निकलता है
लेकिन उसको पाने की ख्वाइश सेकड़ो रखते है,
तुम अंजुली भर वो अमृत हो
जो मेरे घर और मन दोनों को पवित्र रखता है,
मेरी सखा, प्रेयसी और संगिनी सब तुम ही हो,
तुम मेरे जीवन रूपी समंदर में
उस पतवार की तरह हो जो धुप, छाव, वर्षा और तूफ़ान में
सदेव मेरा साथ देती है,
तुम मुझ में इस तरह शमाई हो,
अगर तुम मुझ से अलग हुई तो
शायद मेरा वजूद ही ख़त्म हो जायेगा,
***********राघव पंडित*
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