मेरे कदम तुम्हारी ओर बढ़ने से पहले कई बार सोचते है,
मैं कुछ भी कहने से पहले कई बार सोचता हु,
क्योकि अब तुम्हारे पास मेरे लिए समय नहीं है,
एक समय था तुम मेरे साथ ज्यादा ज्यादा
समय बिताना चाहती थी,
एक समय वो था जब रोज़ शाम को
तुम मेरे आने का बेसब्री से
इंतज़ार करती थी,
आज वो समय है कि तुम
अपनी प्रसंसा करने वालों के
बीच घिरे रहना चाहती हो,
उनके द्वारा तुम्हारी प्रसंसा में कहे गए
शब्दों में खोई रहती हो,
मैं चाहकर भी तुमसे
अपने मन की बात नहीं पाता,
तुम और मैं आज एक साथ रहते हुए भी
एक साथ नही है,
तुम्हारे और मेरे बीच की दूरी,
जो दो कदम है
वो आज सौ कदम हो गई है,
मैं आज एक मूक दर्शक सा,
सिर्फ तुम्हारे चहरे पर आने वाले
भावों को देख सकता हु,
वो भाव जब बदलते है जब तुम्हे
अपने किसी प्रसंसक के द्वारा कहे
शब्द याद आते है,
मैं भी बहुत खुश होता हूँ
तुम्हे खुश देखकर,
लेकिन मैं डरता हूँ कि कहीं
ये दूरी इतनी न बढ़ जाये,
कि ये हमारा पवित्र रिश्ता,
एक समझोता बन के न रह जाये,
जीवन में कुछ पाने के लिए
संघर्ष करना प्रसंसनिये है,
जीवन में कुछ पाने के लिए
सब कुछ भूल जाना मुर्खता है,
******RAGHAV PANDIT
मैं कुछ भी कहने से पहले कई बार सोचता हु,
क्योकि अब तुम्हारे पास मेरे लिए समय नहीं है,
एक समय था तुम मेरे साथ ज्यादा ज्यादा
समय बिताना चाहती थी,
एक समय वो था जब रोज़ शाम को
तुम मेरे आने का बेसब्री से
इंतज़ार करती थी,
आज वो समय है कि तुम
अपनी प्रसंसा करने वालों के
बीच घिरे रहना चाहती हो,
उनके द्वारा तुम्हारी प्रसंसा में कहे गए
शब्दों में खोई रहती हो,
मैं चाहकर भी तुमसे
अपने मन की बात नहीं पाता,
तुम और मैं आज एक साथ रहते हुए भी
एक साथ नही है,
तुम्हारे और मेरे बीच की दूरी,
जो दो कदम है
वो आज सौ कदम हो गई है,
मैं आज एक मूक दर्शक सा,
सिर्फ तुम्हारे चहरे पर आने वाले
भावों को देख सकता हु,
वो भाव जब बदलते है जब तुम्हे
अपने किसी प्रसंसक के द्वारा कहे
शब्द याद आते है,
मैं भी बहुत खुश होता हूँ
तुम्हे खुश देखकर,
लेकिन मैं डरता हूँ कि कहीं
ये दूरी इतनी न बढ़ जाये,
कि ये हमारा पवित्र रिश्ता,
एक समझोता बन के न रह जाये,
जीवन में कुछ पाने के लिए
संघर्ष करना प्रसंसनिये है,
जीवन में कुछ पाने के लिए
सब कुछ भूल जाना मुर्खता है,
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