कहाँ है मेरे खवाबों का शहर,
मिला दिया है किसी ने हवाओं में जहर,
इंसान इंसान पर बरपा रहा है कहर,
दिल को दिल से जो कर रहा है जुदा,
कहाँ से आया है ये अजाब ऐ मेरे खुदा,
इंसान को इंसान से लग रहा है डर,
सुना सुना सा लगता हैं
मिला दिया है किसी ने हवाओं में जहर,
इंसान इंसान पर बरपा रहा है कहर,
दिल को दिल से जो कर रहा है जुदा,
कहाँ से आया है ये अजाब ऐ मेरे खुदा,
इंसान को इंसान से लग रहा है डर,
सुना सुना सा लगता हैं
ये मेरा शहर जैसा घर,
लग गया है शक और लालच का घुन
लग गया है शक और लालच का घुन
इंसान के ज़हन को,
मांग रहा है महसूल
मांग रहा है महसूल
वो प्यार, मुहब्बत और ईमान का,
बच्चों ने डर से घर से निकलना छोड़ दिया ,
पड़ोसियों से प्यार मुहब्बत का नाता ही तोड़ दिया ,
रात हो गई बच्चे घर नही पहुचे,
माँ इंतज़ार में सड़क किनारे खड़ी है
जो कल तक अंधरे से डरती थी
वो आज बच्चों की खातिर जिद पर अडी है,
माँ, बहन, बीवी की इज्ज़त का लगा रहा है भाव,
इंसान की नज़रों में रिश्तों की
बच्चों ने डर से घर से निकलना छोड़ दिया ,
पड़ोसियों से प्यार मुहब्बत का नाता ही तोड़ दिया ,
रात हो गई बच्चे घर नही पहुचे,
माँ इंतज़ार में सड़क किनारे खड़ी है
जो कल तक अंधरे से डरती थी
वो आज बच्चों की खातिर जिद पर अडी है,
माँ, बहन, बीवी की इज्ज़त का लगा रहा है भाव,
इंसान की नज़रों में रिश्तों की
अहिमयत का हो गया है आभाव,
ऐ खुदा दे दे हमें इतनी खैरात,
सभी इंसानों में हो पयार, मुहब्बत के जज्बात,
ऐ खुदा दे दे हमें इतनी खैरात,
सभी इंसानों में हो पयार, मुहब्बत के जज्बात,
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