पल पल जिन्दगी
दामन छुड़ाती रही,
तुम पल पल
सपने सजाती रही,
मैं तिल तिल पल पल
मरता रहा,
तुम पल पल
मुझे निगाहों से गिराती रही,
मैं आँखों में मौत लिए
तुम्हे पल पल
याद करता रहा,
तुम पल पल
बंद पलकों में मुझे भुलाती रही,
मैं पल पल
तुम्हे देख जीता रहा,
तुम पल पल
मेरे मरने की दुआ करती रही,
मेरा पल पल
जनाजा घर से रुखसत होने लगा,
तुम पल पल
सुनहरे ख्वाबों में खोने लगी,
मुझे पल पल
खाक ने,
खाक बना दिया,
तुमने पल पल
मुझे अपने दिल और खवाबों से मिटा दिया
*********राघव पंडित**
दामन छुड़ाती रही,
तुम पल पल
सपने सजाती रही,
मैं तिल तिल पल पल
मरता रहा,
तुम पल पल
मुझे निगाहों से गिराती रही,
मैं आँखों में मौत लिए
तुम्हे पल पल
याद करता रहा,
तुम पल पल
बंद पलकों में मुझे भुलाती रही,
मैं पल पल
तुम्हे देख जीता रहा,
तुम पल पल
मेरे मरने की दुआ करती रही,
मेरा पल पल
जनाजा घर से रुखसत होने लगा,
तुम पल पल
सुनहरे ख्वाबों में खोने लगी,
मुझे पल पल
खाक ने,
खाक बना दिया,
तुमने पल पल
मुझे अपने दिल और खवाबों से मिटा दिया
*********राघव पंडित**
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