बट गया
जमीं बट गई
आसमान बट गया
मुहब्बत भरा
ये जहान बट गया,
शहर बट गया गाँव बट गया
घर का एक एक
समान बट गया,
माँ बट गई बाप बट गया
माँ बाप के सपनो का
जहान बट गया,
कभी खेले थे जिस आँगन में
नीम तले भाई बहन
उस आँगन की ईंट ईंट
नीम का पत्ता पत्ता
और आसमान बट गया,
बेटी बट गई बेटा बट गया
बेटी की चाहत का
खुमार घट गया,
बट गया शहर
ये जहान बट गया
सितारों भरा ये आसमान बट गया
इंसानों में इंसानियत का
भाव घट गया
इंसान बट गया
भगवान बट गया,
*******राघव विवेक पंडित
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