कोई तन्हा कब तक दिल को संभाले
जिन्दगी बीती अंधेरों में, हुए न उजाले,
इस उम्मीद पे लड़ता रहा मुश्किलों से
कभी होगी अपनी सुबह और उजाले,
तलाश की बहुत, न दिलबर मिला कोई
पोंछे जो आंसू, इन अंधेरों से निकाले,
जो मिला सौदा किया हमारे जज्बातों का,
कोई मिले ऐसा, जो हमें दिल से भी लगा ले,
यारब कब होगी सुबह, कब होंगे उजाले,
दुनिया से दर्दों गम के, तू अँधेरे उठा ले ,
*******राघव विवेक पंडित
जिन्दगी बीती अंधेरों में, हुए न उजाले,
इस उम्मीद पे लड़ता रहा मुश्किलों से
कभी होगी अपनी सुबह और उजाले,
तलाश की बहुत, न दिलबर मिला कोई
पोंछे जो आंसू, इन अंधेरों से निकाले,
जो मिला सौदा किया हमारे जज्बातों का,
कोई मिले ऐसा, जो हमें दिल से भी लगा ले,
यारब कब होगी सुबह, कब होंगे उजाले,
दुनिया से दर्दों गम के, तू अँधेरे उठा ले ,
*******राघव विवेक पंडित
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