आ फलक पे ले चलूँ
रकीबों के जहाँ से दूर,
मेरे सिवा न देखे कोई
हर बुरी निगाह से दूर,
चाँद तारों में हो आशियाँ
इस संगदिल जहाँ से दूर,
करूँ इतनी मुहब्बत तुझसे
अश्क रहे तेरी पलकों से दूर दूर,
*******राघव vivek pandit
रकीबों के जहाँ से दूर,
मेरे सिवा न देखे कोई
हर बुरी निगाह से दूर,
चाँद तारों में हो आशियाँ
इस संगदिल जहाँ से दूर,
करूँ इतनी मुहब्बत तुझसे
अश्क रहे तेरी पलकों से दूर दूर,
*******राघव vivek pandit
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