तुम कौन हो
रात की रानी
जो चाँद और तारों से सजी
डोली में आती है
सिर्फ रात में,
या रात की रानी के वृक्ष का
वो पुष्प
जो अपनी महक से
मंत्रमुग्ध कर
देता है रात की तन्हाई को,
या तुम हो
जुगनू
जो अपनी उड़ान के साथ
पल पल रोशन करता है
स्याह रात को ,
या तुम हो
वो चिराग
जो रात के अंधरे में
पल पल खुद को जला
भटकों को राह दिखाता है,
*******राघव विवेक पंडित
सुन्दर भाव..
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना...