Friday 11 May 2012


 
तुम कौन हो  
रात की रानी 
जो चाँद और तारों से सजी 
डोली में आती है 
सिर्फ रात में, 

या रात की रानी के वृक्ष का
वो पुष्प
जो अपनी महक से
मंत्रमुग्ध कर 
देता है रात की तन्हाई को,

या तुम हो 
जुगनू 
जो अपनी उड़ान के साथ 
पल पल रोशन करता है 
स्याह रात को ,

या तुम हो 
वो चिराग  
जो रात के अंधरे में
पल पल खुद को जला 
भटकों को राह दिखाता है,


              *******राघव विवेक पंडित  



1 comment:

  1. सुन्दर भाव..
    अति सुन्दर रचना...

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