क्यों कोई आता है याद,
कुछ मरहमी
बातें करने के बाद,
क्यों उसकी की कमी सी
महसूस होती है,
उसे देखने की बार बार
ख्वाइश होती है,
वो अनजाना
अनदेखा
अपना सा लगने लगता है,
उसका अपनापन
मजबूर कर देता है
आँखों में आंसू होने
के बाद भी
मुश्कुराने को,
जब भी कोई दिल को
ठेस पहुंचता है
बहुत याद आती है उसकी,
दिल चाहकर भी
उसे भुला नहीं पाता,
*******राघव विवेक पंडित
कुछ मरहमी
बातें करने के बाद,
क्यों उसकी की कमी सी
महसूस होती है,
उसे देखने की बार बार
ख्वाइश होती है,
वो अनजाना
अनदेखा
अपना सा लगने लगता है,
उसका अपनापन
मजबूर कर देता है
आँखों में आंसू होने
के बाद भी
मुश्कुराने को,
जब भी कोई दिल को
ठेस पहुंचता है
बहुत याद आती है उसकी,
दिल चाहकर भी
उसे भुला नहीं पाता,
*******राघव विवेक पंडित
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