माँ ने
आँखों में आंसू भर
बेटे को
शहर के लिए
विदा तो किया,
लेकिन आज भी
माँ की आँखों मे
विदाई के समय की
नमी बाकी है
आज भी
घर के द्वार के
उसी कोने पर
शाम को
उसके आने का
करती है इंतज़ार,
जहां से उसने
अपने बेटे को
जी भर देख
विदा करने का
साहस किया था,
*******राघव विवेक पंडित
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