तुम दो लफ्जों में बे बफा कह गए,
हम दो लफ्जों में उलझ के रह गए,
तुम दो लफ्जों में रिश्ता तोड़ गए,
हमें तनहा अकेला छोड़ गए,
हमारी खता, हम समझ न पाए ,
हम पल में सितमगर हो गए,
तुमको हम अपना खुदा कहते थे,
हमारे खुदा ही बेरहम हो गए,
हमारी हर एक सांस, तेरी वफ़ा का दम भरती है,
तुम ऐसे बेदर्द निकले, हमें ही बे वफ़ा कह गए,
*******राघव विवेक पंडित
हम दो लफ्जों में उलझ के रह गए,
तुम दो लफ्जों में रिश्ता तोड़ गए,
हमें तनहा अकेला छोड़ गए,
हमारी खता, हम समझ न पाए ,
हम पल में सितमगर हो गए,
तुमको हम अपना खुदा कहते थे,
हमारे खुदा ही बेरहम हो गए,
हमारी हर एक सांस, तेरी वफ़ा का दम भरती है,
तुम ऐसे बेदर्द निकले, हमें ही बे वफ़ा कह गए,
*******राघव विवेक पंडित
बहुत ही बढ़िया सर!
ReplyDeleteसादर
achcha shabd sanyojan ghazalatmak shaily ...bahut umda prayaasrat rahe achche ghazalkar ban sakte ho.
ReplyDeleteआपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteबहुत ही बेहतरीन रचना..
ReplyDeleteगहन भाव अभिव्यक्ति....
आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteबढ़िया रचना...
ReplyDeleteसादर बधाई॥
अच्छी है
ReplyDeleteयशवंत जी शुक्रिया
ReplyDeleteआपका हार्दिक धन्यवाद
ReplyDelete