Wednesday 21 March 2012

दो लफ्ज

तुम दो लफ्जों में बे बफा कह गए,
हम दो लफ्जों में उलझ के रह गए,

तुम दो लफ्जों में रिश्ता तोड़ गए,
हमें तनहा अकेला छोड़ गए,

हमारी खता, हम समझ न पाए ,
हम पल में सितमगर हो गए,

तुमको हम अपना खुदा कहते थे,
हमारे खुदा ही बेरहम हो गए,

हमारी हर एक सांस, तेरी वफ़ा का दम भरती है,
तुम ऐसे बेदर्द निकले, हमें ही बे वफ़ा कह गए,

*******राघव विवेक पंडित


9 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया सर!


    सादर

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  2. achcha shabd sanyojan ghazalatmak shaily ...bahut umda prayaasrat rahe achche ghazalkar ban sakte ho.

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  3. बहुत ही बेहतरीन रचना..
    गहन भाव अभिव्यक्ति....

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  4. बढ़िया रचना...
    सादर बधाई॥

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  5. आपका हार्दिक धन्यवाद

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