Wednesday 1 February 2012

JHALAK

तेरी एक झलक बना देती
दीवाना है,
तुनने जहाँ जहाँ कदम रखा
आज वहां मयखाना है,

तेरी जुल्फें जो काँधे पर बिखर जायेंगी
हर तरफ
मस्ती सी छा जायेगी,

तेरी आँखें है या मयखाना है,
जिसे तुमने देखा
वो आज भी दीवाना है,

तेरे होठ जो लफ्जों को छू लेंगे,
सुनने वाले
बिना पिए ही झूमेंगे,

तुम में जो नशा है
वो मयखाने में कहाँ,
तुम्हारी एक झलक मिले,
तो झूमता है जहान,

**********राघव **

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया सर!
    अच्छा लगा आपका ब्लॉग।

    सादर

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