दुनिया में ये कैसा दौर है,
हर तरफ झूठों और मक्कारों का शोर है,
सच अपनी जान बचा रहा है,
झूठ सच के नाम पे खा रहा है,
सच बड़ा बेचारा है,
जो उसके साथ है, वो भी नहीं बता रहा है,
सच की भी क्या तकदीर है,
सच अकेला और झूठ के साथ भीड़ है,
सच बोलना तो गुनाह हो गया,
झूठ की भीड़ में
सच कहीं खो गया.
***********राघव विवेक पंडित
हर तरफ झूठों और मक्कारों का शोर है,
सच अपनी जान बचा रहा है,
झूठ सच के नाम पे खा रहा है,
सच बड़ा बेचारा है,
जो उसके साथ है, वो भी नहीं बता रहा है,
सच की भी क्या तकदीर है,
सच अकेला और झूठ के साथ भीड़ है,
सच बोलना तो गुनाह हो गया,
झूठ की भीड़ में
सच कहीं खो गया.
***********राघव विवेक पंडित
बहुत खूब सर!
ReplyDeleteसादर